इन्सानियत
स्वतंत्रता दिवस पर झंडा वन्दन के लिए मयंक तैयार हो कर आफिस जा रहा था । वह संचालक
था , इसलिए झंडा वन्दन उसे ही करना था ।
मयंक अभी कार निकाल ही रहा था कि पड़ोसी रहमान काका के घर से शौरगुल की आवाजें आने लगी । हालांकि बच्चों की शैतानी पर अक्सर उनसे कहासुनी हो जाती थी , इसलिए मन में कुछ खट्टापन लिए मयंक ने सोचा शायद कुछ घरेलू मामला होगा । रहमान काका का बेटा बहादुर उसके पास आया और रोते हुए सहायता करने के लिए कहने लगा ।
अब मयंक से नहीं गया , वह कार से बाहर आया और रहमान काका के घर गया । उसने देखा काका सीने में दर्द से तड़प रही थी , उन्हें दिल का दौरा पड़ा था , मयंक ने बिना देर किये काकी को अस्पताल ले जाने गोद में उठा लिया, बहादुर भी साथ कार में बैठ
गया । काकी का आईसीयू में भर्ती करा दिया । डाक्टर ने फौरन इलाज शुरू कर दिया ।
डाक्टर कह रहे थे :
” काकी को सही समय पर अस्पताल ले आये इसीलिए इलाज हो गया , और अब वह खतरे से बाहर हैं।
मयंक ने अस्पताल जाते समय , आफिस फोन कर सब बातें बता कर अपने उप संचालक को झंडा वन्दन के लिए कह दिया था ।
स्वतंत्रता दिवस पर मयंक के सही समय पर, सही निर्णय और भाईचारे की मिसाल की सब तारीफ कर रहे थे ।
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल