इनसे काम नहीं होता
पिछले कई सालों से मुझे एक व्यक्ति अपनी पत्नी को नियमित रूप से दिखाने लाया करता था । उसकी पत्नी देखने में एक सामान्य से कम पढ़ी लिखी ग्रहणी थी लेकिन क्योंकि वह बहुत सज धज कर और गाढ़ा मेकअप करके आती थी अतः चलती फिरती मेकअप की दुकान नजर आती थी । वह अपने आगे के बालों की लटों को गोल गोल छल्लों के आकार में लटकाकर अपने माथे और गाल पर बड़े जतन से चिपका कर रखती थी । कानों में सूखे पीपल के पत्तों जैसे बड़े-बड़े झाले जैसे लटकाए , गले में रंग बिरंगी मोतियों की माला एवं अन्य बनावटी गहनों से सुसज्जित रहती थी। उसकी भवें अप्राकृतिक रूप से घनी और काली पेंसिल से बनी हुई ज्यादा काली लगती थीं , पलकें नीली पुती , गाल मेकअप के फाउंडेशन से मिलकर बैंगनी रंग के जिन पर चिपके कुमकुम के कण मेरे कक्ष की ट्यूबलाइट की रोशनी में उसके सांवले चेहरे पर टिम टिम कर चमचमाते थे , होठों पर मेल खाती जामुनी रंग की लिपस्टिक रहती थी । उसके वस्त्रों में सलमा सितारे जुड़े रहते थे जो उसके जाने के बाद कभी कभी मेरे कक्ष के फर्श पर टूट कर बिखर जाते थे । वह एक तीक्षण खुशबू वाले इत्र का प्रयोग करती थी जो बाहर से ही उसके आने का परिचय करा देती थी ।
उसके पति को उससे सिर्फ एक ही शिकायत थी कि डॉक्टर साहब इनसे काम नहीं होता ।
मैं उसे देख कर सोचता था की जो महिला इतनी देर तक मेकअप करेगी तो फिर वह काम के लिए कितना समय दे पाएगी । उसका पति उसके श्रंगार से बेखबर अपनी ग्रहस्थी की रोजमर्रा की कठिनाइयों का विवरण मुझे बताता था कि किस प्रकार उसके बच्चे समय से स्कूल नहीं जा पाते या घर में खाना नहीं बन पाता । यदि मैं इस पर काम का अधिक ज़ोर डालूं तो इसकी भिंच्ची लग जाती है और ये बेहोश हो जाती है और घंटों ऐसे ही पड़ी रहती है । इसकी बीमारी के चलते अक्सर बाल बच्चों का पेट भरने के लिए खाना ढाबे से मंगाना पड़ता है ।
एक बार मैंने उसके पति को समझाया कि तुम इसके ऊपर और ध्यान दो और घर परिवार के लिए समय निकालो इसके ऊपर ज्यादा काम का बोझ मत डालो । मेरी यह बात सुनने पर वह बोला डॉक्टर साहब इसके इलाज में मैं बहुत पैसा बर्बाद कर चुका हूं और इसके ऊपर काम का बोझ कम करने के लिए मैंने एक-एक करके अपनी 5 भैंसे बेच डाली और उनका पैसा इसके इलाज में लगा दिया ।
एक बार फिर जब वह अपनी पत्नी को दौरे की हालत मैं लेकर आया तो इसका कारण पूछने पर उसने मुझे बताया कि यह आंगन धो रही थी और उसका जोर इसके दिल पर पड़ा और यह बेहोश हो गई । कुछ इलाज देने के बाद जब वह ठीक हो गई तो मैंने उसके पति से कहा कि भाई तुम इस पर काम का बोझ मत डाला करो । इस पर वह दुखी होकर बोला कि साहब अब इस पर काम का बोझ हल्का करने के लिए मैंने इसकी छोटी बहन अपनी साली को इसकी मदद के लिए पिछले डेढ़ साल से अपने यहां बुला कर रख लिया है । इसी प्रकार वह मुझे बीच-बीच में अपनी पत्नी को लेकर दिखाने आया करता था और वह भी हर बार उसी भांति सज धज कर दिखाने आती रही । एक बार उसके पति ने मुझे बताया कि साहब आपकी सलाह पर अब मैंने इस पर काम का बोझ मुकम्मल तौर पर हल्का करने के लिए इसकी उस छोटी बहन जिसे वह इसकी मदद के लिए लाया था उससे शादी कर ली है । वह बीच-बीच में अपनी पत्नी को दिखाता रहा और इस प्रकार उसका इलाज चलता रहा , फिर फिर एक दिन वह अपनी पत्नी के इलाज से आज़िज़ होकर दुखी स्वरों में मुझसे बोला कि साहब इसका इलाज अभी और कितने दिन तक चलेगा ? अब मेरी मुशकिलें और बढ़ गई हैं क्योंकि अब इसकी छोटी बहन भी इसी की बीमारी की राह पर इस के नक्शे कदम पर चल पड़ी है । उसे भी ऐसी ही तकलीफ होने लगी है ।
मैंने उससे पूछा कि तुम्हें क्या लगता है कि इन दोनों बहनों अर्थात तुम्हारी पत्नियों की बीमारी का क्या कारण है और यह क्यों नहीं ठीक हो रही है ?
इनसे काम ना हो पाने वाली बीमारी का तुम्हारी नजर में अब क्या इलाज है और इसका क्या हल है ?
मेरी बात सुनकर वह बोला कि साहब मैं सोचता हूं कि यह दोनों बहने बड़े घर से ब्याह कर आई हैं ।अतः अब इन दोनों से काम नहीं होता है , इलाज तो इनका आपसे चल ही रहा है पर अब काम के लिए मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है गरीब घर की है सोचता हूं उससे शादी कर लूं तो मेरी इस तीसरी शादी से घर में इनके साथ काम निपटाने के लिए कोई हो जाएगा ।
मैं उसके हाव-भाव से समझ रहा था कि उसकी जिंदगी में उसके नजरिए से यह उसकी एक बहुत वास्तविक एवं गंभीर समस्या थी और उसके घर में पिछली दो पत्नियों के इतने भड़कीले श्रंगार मैं रहने के बावजूद इसका हल एक तीसरी शादी के बाद ही निकल सकता था । यह बात वह मेरे से किसी प्रकार की हमदर्दी या वैधानिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए नहीं बता रहा था । मैं उसे सुझाव देना चाहता था कि वह एक तीसरी शादी करने के बजाए यदि अपनी पूर्व ब्याही पत्नियों पर ध्यान दे उन्हीं में अपना प्यार बांटे और रुचि ले तो शायद वह इलाज के खर्चे और अपनी जिंदगी की समस्याओं से छुटकारा पा सकता है । पर वह जानता था कि यह उसका निजी मामला है और वह इस निर्णय को अमल में लाने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र एवं सक्षम है । मैं जानता था कि उसके तीसरे विवाह में अड़चन पैदा करने वाला मेरा यह सुझाव उसे पसंद नहीं आएगा।
इस मरीज की कहानी ने मेरे चिकित्सीय अनुभव एवं परामर्श की कुशलता में एक वृद्धि कर दी है ।अब जब कभी कोई पति मुझसे अपनी पत्नी के बारे में यह तकलीफ बताता है कि इन से काम नहीं होता है तो मैं उसकी पत्नी के सभी परीक्षण एवं जांचे कराने के उपरांत उसे स्वस्थ पा कर उसे तीन – चार बार परामर्श दे लेने के पश्चात उसे फायदा न होने पर और एक जटिल मरीज़ मान कर यह कहते हुए कि ये बात आप पर लागू नहीं हो सकती उनको धीरे से उपरोक्त किस्सा सुना देता हूं । जिसमें किस प्रकार काम करने में उसकी मदद के लिए दूसरी पत्नी के आ जाने पर पूर्व पत्नी को आराम मिलने की संभावना बढ़ जाती है । मेरे इस किस्से को सुनते समय मुझे पति पत्नी के चेहरों पर उतरते चढ़ते मनोभावों को पढ़ने में और इसे सुन कर जब वो एक दूसरे की ओर देखते हैं तो क्षणिक फंतासी में ही सही ग़ालिबन
दिल को समझाने के लिये ख़याल अच्छा है के अनुसार उनके परस्पर मनोविनोद और ईर्षा मिश्रित भावों की झलक मिल जाती है और और एकरसता से भरा मेरा बोझिल परामर्श इस व्यंग मिश्रित किस्से से उनको कभी असहज तो कभी आशान्वित , और कभी प्रफुल्लित कर देता है ।
इस किस्से को सुनने के बाद मैंने अक्सर अपने ऐसे कई मरीजों में इसके जदुई एवम अच्छे नतीजे देखे हैं । बस इसमें एक ही दुविधा सामने आई है कि मेरी यह सलाह सुनकर या तो वे काम ना कर पाने वाली महिलाएं ठीक हो होकर काम पर लग जाती हैं या फिर डॉक्टर बदल लेती हैं।