*सीढ़ी चढ़ती और उतरती(बाल कविता)*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
मासूम बच्चे बड़े हो जाते हैं...
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
सम्मान #
Anamika Tiwari 'annpurna '
बदलने लगते है लोगो के हाव भाव जब।
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कलम लिख दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
प्रारब्ध का सत्य
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पारिवारिक मूल्यों को ताख पर रखकर आप कैसे एक स्वस्थ्य समाज और
तुझे बंदिशों में भी अपना राहगुज़र मान लिया,
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
तारो की चमक ही चाँद की खूबसूरती बढ़ाती है,
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा