Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2022 · 3 min read

इतिहासमें गुम माँ

विषय ………इतिहास की गुमनाम मातायें
विधा……….गद्य
दिनांक…….04/05/2022
आलेख
*******************
श्रीमती सुमित्रा देवी

रामायण के प्रमुख पात्र राम के भाई लक्ष्मण की माँ थी सुमित्रा। रामायण में कैकयी को जो प्रसिद्धि मिली है उतनी कौशल्या को नहीं मिली और सुमित्रा का नाम मात्र ही रह गया।
सुमित्रा,प्रकारांतर से रामायण की प्रमुख पात्र और राजा दशरथ की तीन महारानियों में से एक थीं। सुमित्रा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी तथा लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न की माता थीं। महारानी कौशल्या पट्टमहिषी थीं। महारानी कैकेयी महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में श्री सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। सुमित्रा जी महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना अपना धर्म समझती थीं। पुत्रेष्टि-यज्ञ समाप्त होने पर अग्नि के द्वारा प्राप्त चरू का आधा भाग तो महाराज ने कौशल्या जी को दिया शेष का आधा कैकेयी को प्राप्त हुआ। चतुर्थांश जो शेष था, उसके दो भाग करके महाराज ने एक भाग कौशल्या तथा दूसरा कैकेयी के हाथों पर रख दिया। दोनों रानियों ने उसे सुमित्रा जी को प्रदान किया। समय पर माता सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया। कौशल्या जी के दिये भाग के प्रभाव से लक्ष्मण जी श्रीराम के और कैकेयी जी द्वारा दिये गये भाग के प्रभाव से शत्रुघ्न जी भरत जी के अनुगामी हुए। वैसे चारों कुमारों को रात्रि में निद्रा माता सुमित्रा ही कराती थीं। अक्सरपुत्र प्रेम में माता कौशल्या श्री राम को अपने पास सुला लेतीं। रात्रि में जगने पर वे रोने लगते। माता रात्रि में ही सुमित्रा के भवन में पहुँचकर कहतीं- ‘सुमित्रा! अपने राम को लो। इन्हें तुम्हारी गोद के बिना निद्रा ही नहीं आती देखो, इन्होंने रो-रोकर आँखे लाल कर ली हैं।’ श्री राम सुमित्रा की गोद में जाते ही सो जाते।

साहित्य में सुमित्रा

कौशल्या की अपेक्षा सुमित्रा प्रखर, प्रभावी एवं संघर्षमयी रमणी है । कैकेयी के वचनों की पालना एवं श्रीराम प्रभु के साथ जब लक्ष्मण अपनी माता से वन जाने की आज्ञा चाहते हैं तो वह कहती है कि जहाँ श्रीराम जी का निवास हो वहीं अयोध्या है । जहाँ सूर्य का प्रकाश हो वहीं दिन है । यदि निश्चय ही सीता-राम वन को जाते हैं तो अयोध्या में तुम्हारा कुछ भी काम नहीं है । ‘मानस’ की उक्त पंक्तियाँ अवलोकनीय हैं- अवध तहाँ जहँ राम निवासू । तहँइँ दिवसु जहँ भानु प्रकासू । जौं पै सीय राम बन जाहीं । अवध तुम्हार काजु कछु नाहीं॥[1]

सुमित्रा ने सदैव अपने पुत्र को विवेकपूर्ण कार्य करने को प्रेरित किया । राग, द्वेष, ईर्ष्या, मद से दूर रहने का आचरण सिखाया और मन-वचन-कर्म से अपने भाई की सेवा में लीन रहने का उपदेश दिया,

यथा- रागु रोषु इरिषा मदु मोहू । जनि सपनेहुँ इन्ह के बस होहू ।। सकल प्रकार विकार बिहाई । मन क्रम वचन करेहु सेवकाई॥

निष्कर्ष —इस प्रकार सुमित्रा इतिहास की पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि नवीन चेतना से सुसम्पन्न नारी है। वह एक आदर्श माँ के रूप में राम-लक्ष्मण को कर्म करने के लिए प्रेरित करती है ।उसने कभी अपने पुत्र द्वारा राम का अनुकरण या दासवत् सेवा करने पर ग्लानि महसूस नहीं की। एक उच्च आदर्श व सँस्कारी माँ ही यह कर सकती है। इतिहास में खो चुकी इस माँ के पुत्र के लिए आज भी संसार कहता है कि …पुत्र और भाई हो तो लक्ष्मण जैसा।
***परिचय गूगल से साभार
मनोरमा जैन पाखी ..
मेहगाँव ,जिला भिंड

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 173 Views

You may also like these posts

राष्ट्रीय खेल दिवस हर साल किस दिन मनाया जाता है?
राष्ट्रीय खेल दिवस हर साल किस दिन मनाया जाता है?
Aneesh
शिक्षक जो न होते
शिक्षक जो न होते
Sudhir srivastava
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
तंद्रा तोड़ दो
तंद्रा तोड़ दो
Mahender Singh
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सन् २०२३ में,जो घटनाएं पहली बार हुईं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🌹अपना ख्याल रखियें🌹
🌹अपना ख्याल रखियें🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
आज़ादी
आज़ादी
MUSKAAN YADAV
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
Sonam Puneet Dubey
तेरी याद ......
तेरी याद ......
sushil yadav
आप कितने अपने हैं....
आप कितने अपने हैं....
TAMANNA BILASPURI
क्या लिखूं
क्या लिखूं
पूर्वार्थ
4405.*पूर्णिका*
4405.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#क़तआ / #मुक्तक
#क़तआ / #मुक्तक
*प्रणय*
हर आँसू में छिपा है, एक नया सबक जिंदगी का,
हर आँसू में छिपा है, एक नया सबक जिंदगी का,
Kanchan Alok Malu
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
अपने दिल में चोर लिए बैठे हैं
Suryakant Dwivedi
Barish
Barish
Megha saroj
फूलों से सीखें महकना
फूलों से सीखें महकना
भगवती पारीक 'मनु'
आगे उनके  हो गये,हम क्या जरा शरीफl
आगे उनके हो गये,हम क्या जरा शरीफl
RAMESH SHARMA
रावण, तुम अमर कैसे हो गये
रावण, तुम अमर कैसे हो गये
Chitra Bisht
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
Rj Anand Prajapati
देवी स्तुति द्वितीय अंक * 2*
देवी स्तुति द्वितीय अंक * 2*
मधुसूदन गौतम
योग्य शिक्षक
योग्य शिक्षक
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी इम्तिहानों का सफर
जिंदगी इम्तिहानों का सफर
Neeraj Agarwal
"Gym Crush"
Lohit Tamta
एक ही दिन में पढ़ लोगे
एक ही दिन में पढ़ लोगे
हिमांशु Kulshrestha
क्या लिखूँ
क्या लिखूँ
Dr. Rajeev Jain
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
फिर कभी तुमको बुलाऊं
फिर कभी तुमको बुलाऊं
Shivkumar Bilagrami
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
कवि रमेशराज
Loading...