इतराता है।
नाशवान है फिर भी इतना इतराता है।एक मुठ्ठी भर राख बन जायेगा। फिर? भी इतराता है! पूछले अपने आप से मैं कौन हूं ?
और यहां पर क्यों आया हूं, और क्या तेरी मंजिल है। सबकुछ छोड़कर चले जाना है। फिर भी इतराता है! देख ले कुछ सीखले
समय बहुत कम है ,निकल जायेगा फिर पछताना पड़ेगा और
आवागमन के चक्र में फिर फंस जायेगा। फिर क्यों इतराता है।