इतनी महंगी हो गई है रिश्तो की चुंबक
इतनी महंगी हो गई है रिश्तो की चुंबक
गरीबों का चुंबकत्व ही नजर नहीं आता!
भरी हो जेब तो दूर से सजदा कबूल है
गरीब आदमी आदमी नजर नहीं आता !!
कवि दीपक सरल
इतनी महंगी हो गई है रिश्तो की चुंबक
गरीबों का चुंबकत्व ही नजर नहीं आता!
भरी हो जेब तो दूर से सजदा कबूल है
गरीब आदमी आदमी नजर नहीं आता !!
कवि दीपक सरल