इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
अपने अपने कर्म हैं, अपने अपने ताप
देख ईश कहने लगे, सुन धरती का हाल
मुँह पर सबके राम है, मन में केवल पाप।
सूर्यकांत
इतनी फुर्सत है कहां, जो करते हम जाप
अपने अपने कर्म हैं, अपने अपने ताप
देख ईश कहने लगे, सुन धरती का हाल
मुँह पर सबके राम है, मन में केवल पाप।
सूर्यकांत