इतनी निराशा किस लिए
अभी तो शुरू हुआ है सफर
ये ज़ोर आजमाइश किस लिए
धीरे धीरे चलते रहिए मंजिल की तरफ
है इतनी निराशा किस लिए
उग रहा है अंकुर अभी
वक्त लगेगा बनने में पेड़ इसको
मिलेंगे एक दिन फल भी तुम्हें
है इतनी निराशा किस लिए
हो रहा अभी तो सूर्योदय
छटा अरुणोदय की बिखर रही
होगा सामना बादलों से अभी तो
है इतनी निराशा किस लिए
कोई मंत्र नहीं है सफलता का
संघर्ष के सिवाय यहां पर
अभी तो शुरू हुआ है ये सफ़र
है इतनी निराशा किस लिए
सफलता भी मिलेगी कभी
कभी नहीं भी मिल पाएगी
ये ज़रूरी नहीं दोस्तों ज़िंदगी हमेशा
मनमाफिक परिणाम ही लाएगी
फिर है इतनी निराशा किस लिए
चलना पड़ेगा कभी अकेले भी
कारवां की फिक्र किस लिए
जीत जायेगा होगा इरादा अगर अडिग
है इतनी निराशा किस लिए
लेकिन है जो साथ तेरे हमेशा
उन्हें कभी तू भूलना नहीं
सोचते हैं जो तेरे भले के लिए
उनसे ये नाराज़गी किस लिए।