इतना आसान होता
इतना आसान होता
तो…
हर कोई कर लेता प्रेम
कितने ही अंतर्द्वंदों,
सामाजिक बेड़ियों,
अनगिनत रूढ़ियों को
दरकिनार कर…
प्रस्फुटित होता है… प्रेम
मानो बंजर पड़ी धरती पर
बखेर कर
भावनाओं के बीज़
मुद्दतों बाद,
बहुतेरे जतन करने पर
कठिनाईयों से खिली हो
कोई नन्हीं सी कोंपल…..
जो प्रतीक होती है प्रेम की
हिमांशु Kulshrestha