इज़हार कर ले एक बार
बदनाम कर रहे शहर वाले
लेकिन तुम्हें ये पता ही नहीं
लगता है सुरुर इश्क़ का
तुम्हारा अभी उतरा ही नहीं
है ये नशा ही ऐसा इश्क़ का
ये आसानी से उतरता ही नहीं
एक वो सनम है तेरा जो
इकरार इश्क़ का करता ही नहीं
तू कब तक तड़पता रहेगा यूं ही
उसका दिल तेरे लिए धड़कता ही नहीं
है जाने किस गुमान में वो अब भी
जो ये नशा उसको चढ़ता ही नहीं
कब तक तस्वीर निहारोगे उसकी
वो कभी सामने तेरे आता ही नहीं
तू तो खो गया है इश्क़ में जिसके
ये इश्क़ तेरा उसे क्यों भाता ही नहीं
इश्क़ करता है बेतहाशा उससे
लेकिन उससे तू जता पाता ही नहीं
इज़हार करना भी ज़रूरी है बहुत
लेकिन तू इज़हार कर पाता ही नहीं
है ये कैसा इश्क़ तेरा
जो उसे तुझपर एतबार आता ही नहीं
पता कर ले एक बार अच्छी तरह
कहीं उसके दिल में कोई और ही तो नहीं
न कर बर्बाद समय एक तरफा प्यार में
गया समय लौटकर आता ही नहीं
कह दे एकबार कि बहुत प्यार करता है उससे
फिर छोड़ दे अगर कोई जवाब आता ही नहीं।