इच्छाओं का काफिला, कब होता है शांत !!
चाहे भारी भीड़ हो, ..या गुमसुम एकांत !
इच्छाओं का काफिला, कब होता है शांत !!
मजहब से बढकर रहे,सदा राष्ट्र का मान !
यही सिखाते है हमे, .गीता औ कुरआन !!
कितना भी भर दीजिये,ऊपर तक अतिरिक्त !
मन का भर कर भी रहे,सदा कमंडल रिक्त !!
रमेश शर्मा.