” इच्छाएं सब चेरी ” !!
योगा में आसन अनेक हैं ,
मुद्राएँ बहुतेरी !
साँसें वशीभूत होती हैं ,
इच्छाऐं सब चेरी !!
रोग ग्रसित है जीवन सबका ,
चिंता बड़ी सताये !
तन मन धन की पायें सुरक्षा ,
योगा यों मन भाये !
समय से पहले जाग चलें हम ,
हो जाये ना देरी !!
कोई बंधन नहीं उम्र का ,
खुली हवा में जी लें !
श्वासों पर हम करें नियंत्रण ,
अमिय गटागट पी लें !
मिली विरासत हमें अनूठी ,
तेरी है ना मेरी !!
योग है केवल एक तपस्या ,
तन साधो मन साधो !
ध्यान , धारणा और समाधि ,
मिल जाये जी माधो !
लघुता का आभास न होगा ,
मति ना जाये फेरी !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )