इक रोज़ …
इक रोज़ तेरे इन मौजों की
हम पर भी इनायत हो जाये
हम रोज़ शिकस्ता कश्ती पर
साहिल की तमन्ना करते हैं
…शिवकुमार बिलगरामी
इक रोज़ तेरे इन मौजों की
हम पर भी इनायत हो जाये
हम रोज़ शिकस्ता कश्ती पर
साहिल की तमन्ना करते हैं
…शिवकुमार बिलगरामी