इक नई मोड़ हर रोज़ सामने आ जाती है, इक नई मोड़ हर रोज़ सामने आ जाती है, संभल के चलने का फ़लसफ़ा सिखा जाती है ©️🖊️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”