इक ग़ज़ल उनकी जानिब
इक ग़ज़ल उनकी जानिब जताने के लिए
हमको उनसे प्यार है ये बताने के लिए
उफ़ ये आंखों की ख़ुमारी चेहरे की रंगत ये हया
जाम-ए-दरिया हुस्न का डूब जाने के लिए
अश्यार हमने पढ़ लिए उनकी नज़र से इश्क के
फेरकर मुंह वो हैं बैठे सबको दिखाने के लिए
जब भरी हो बज़्म फिर ये खामोशी अच्छी नहीं
आओ कोई गीत गाएं मुस्कुराने के लिए
M.T.”Ayan”