“इक्कीसवीं सदी का प्यार”
इक्कीसवीं सदी का प्यार
सन् 2016 की बात जब पापा ने मुझे नया फोन लाकर दिया मन मे तो ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे पर पापा ने फोन ही नही दिया बल्की संस्कार के जितने भी शास्त्र थे सब खोल खोल के दिखाने लगे अब समझ मे नही आरहा था कि फोन लेके ग़ुनाह कर दी हूँ या कुछ और?..मुझे अब घुटन हो रही थी कि कब कोई बहाना मिले और वहां से उठकर भाग जाऊँ आख़िर भगवान ने मेरी विनती सुन ही ली ,किसी ने आवाज़ दी मुझे और फ़िर मौक़ा मिल गया भागने का वहां से।
कुछ दिन बाद की बात है मै फ़ेसबुक पर अपनी कुछ पोस्ट को देख रही थी तब तक एक शख़्स का फ़्रेंड रिक्वेस्ट आया मैने उसके वाल चेक़ किये पर एक्सेप्ट नही किया क्योंकि जानती नही थी और जिनको न पहचानों एक्सेप्ट न करना ऐसा भाई ने कहा था लेकिन उसके फ़्रेंडलिस्ट में मेरे भी कुछ मित्र लड़के और लड़कियाँ दोनो मौजूद थे फ़िर भी कुछ सोच कर एक्सेप्ट नही की ।लगभग सात आठ महीने बाद उसने मेरे सारे पोस्ट लाइक किये पुनः मैने उसके वाल चेक़ किये फ़िर देखी की ये बंदा तो भारतीय सैनिक है और मेरे दिल मे देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के लिए जितनी इज्ज़त हैं मै शब्दों में नहीं बयाँ कर सकती। इस बात को सोचते हुए एक्सेप्ट कर लिया और करते ही संदेश आया “स्वीकार हेतु धन्यवाद बहन ” मुझे समझ मे नही आ रहा था कि क्या बोलूं फ़िर भी कहा धन्यवाद किसलिए भैया फ़िर एक दो बात आगे बढ़ी की वो जानते है मुझे पर मैने साफ़ साफ़ शब्दों में कहा कि नही जानती हूँ मैं इस पर उन्होंने कहा हो सकता है।
कहानी अब शुरु होती है…
एक दो दिन बात करते करते उन्होंने कहा कि वो किसी से बात करते है और वो लड़की मुझे भी जानती है।मैने कहा कोई बात नही जानती होगी मैं बातों को टालती रहती क्योंकि शौक़ नहीं सुनने की औरों की बातें पर वो मानने वालो में से नही फ़ेसबुक बन्द भी कर देती तो उनका लम्बा संदेश यूँ पड़ा रहता बाद में देखती तो प्रतिक्रिया दे देती क्योंकि वो मुझे हमेशा बोलते की मैं घमंडी हूँ और मैं उनसे पच्चास बार बोली थी कि इतना समय नही होता मेरे पास मेरे अपने भी है और पढ़ाई भी। मैने ऐसा इंसान नही देखा जो जबरजस्ती अपनी बाते बता रहा हो ये सब कुछ मुझे विचित्र लग रहा था पर सुन ही लेती। मैने कहा सुनो भैया आज आप अपनी सारी बातें बता दो रोज़ रोज़ ठीक नही लगता मुझे उन्होंने कहा ठीक है फ़िर सुनो,,…..मैं एक लड़की को बहुत पसंद करता था आज भी करता हूँ और वो भी मुझे बहुत मानती है मैने उसकी हमेशा मदद की है जब जब उसे पैसों की ज़रूरत पड़ी उसकी शादी में एक लाख दिया।हूँ और शादी के बाद भी देता हूँ। अभी वो आगे और कुछ बोलते ही कि मैने उन्हें कहा कि रुको और सुनो उस लड़की से आप और आप से वो लड़की बेसुमार प्यार करती तो शादी क्यों कर ली वो ,और वो आपसे या आपके पैसों से प्यार करती थी ये बताओ ।मुझे इतना गुस्सा आया था कि मैं आप पर से तुम पर आने वाली थी पर किसी के लिए अपनी जबान क्यों गंदा करूँ।मैने कहा कि प्यार करना ग़लत नही प्रेम पवित्र बंधन है पर आप जैसो ने ही उसे बदनाम करके रख दियाँ हैं आपने उसे हमेशा पैसे दिए और उसने ले लिए है इससे साफ़ ज़ाहिर होता ……””ये प्यार नहीं व्यपार हैं”” वो पैसा किसी भूखे को दो किसी गरीब को दो मुझे इन सबसे नफ़रत है ऐसे लड़की और ऐसे लड़के दोनो से ।इस पर वो बोल पड़े बहुत बोल रही हो बहन मैने कहा अभी ये बहुत कम है भैया इतना बोल के मैने कहा कि मैसेज मत करना ऐसे लोगो से मुझे नफ़रत है।तीन चार दिन तक कोई मैसेज नही आया ठीक पांचवे दिन फ़िर मैसेज आया जिसमें लिखा था मुझे माफ़ करदो बहन मुझे क्या इन सब बातों से कहा कि कोई बात नहीं इतना कहा ही कि उन्होंने “कटे हाथ” की फ़ोटो भेज दिए ।मैने कहा कि क्या हैं ये????
उन्होंने उत्तर दिया कि ये सब उसके वज़ह से हुआ हैं उसने “प्रमाण ” मांगा मेरे प्यार का ।बहन तू छोटी है तेरे समझ से परे है सब, यही सब होता प्रमाण देना पड़ता है। यह सब देख कर कुछ पल के लिए लगा मुझे ऐसा लगा जैसे कि मुझे अग्निकुण्ड में डाल दिया गया हो।पर दूसरों की बाते सुनकर अपनी संवेदना पर क्यों आँच आने दूँ ।मै कुछ देर चुप हुई और बोली कि मैं पहले भी कह चुकी हूँ कि ये प्यार नही है जो आप और वो करते है और पुनः कह रही हूँ…….
“”ये इक्कीसवीं सदी का प्यार”””‘, प्यार नहीं प्यापार ..है यहाँ लोग आपसे नही आपके पैसों से प्यार करते यहां प्यार दोस्ती है ही नहीं और है भी तो बस शायद शायद वो फ़ायदे देखकर ही हैं।मुझे भी एक शख़्स ने एक बार कहा था कि ऐसी दोस्ती का क्या जब कोई फ़ायदा ही नहीं तब से तो दोस्ती प्यार के बारे में सोचने से भी डर लगता मुझे क्योंकि फ़ायदा नही शायद।
वो फिर डांटने लगे कि मेरी मित्र के बारे में ऐसा न कहो बहुत अच्छी हैं इस पर मैने कहा कि प्यार करती न तो “प्रमाण “नही मांगती …जितना “खून “बहाये हो आज उतना बनाने में न जाने “माँ” ने कितना अपना दूध बहाया होगा कभी सोचा है कि उसे यह सब देखकर कितनी तकलीफ़ होगी।और इतना सब करने के बाद भी अच्छी है बोल रहे हो वो आपके नज़र में होगी मेरी नज़र में वो हमेशा एक गंदी स्त्री ही रहेगी अच्छी होती तो शादी के बाद किसी पराये को नहीं देखती ,अच्छी होती तो प्रमाण नहीं मांगती ,अच्छी होती तो आपके कटे हुए हाथ को देख होश खो बैठी होती।
मै भी एक स्त्री हूँ मुझे कोई शौक़ नही की मै स्त्री होकर स्त्री की उपेक्षा करूँ पर ऐसे स्त्री और पुरुष दोनों प्रशंसा के क़ाबिल नहीं मै उन्हें घृणा के पात्र ही समझूँगी।इतना कहकर मैने उन्हें क़सम दिया कि फ़िर कभी वो कोई मैसेज नही करेंगे।।
…..✒ #शिल्पी सिंह
– बलिया(उ.प्र.)
अग़र कोई ग़लती हो या इसे पढ़ कर किसी को बुरा लगे तो मैं क्षमा चाहूंगी।