इंसान हूं मैं आखिर …
इंसान हूं मैं कोई फरिश्ता तो नहीं ,
नादानियां भी मैने बहुत की होंगी ।
तू खुदा है बख्श सके तो बख्श दे,
तेरी रहमत में कोई कमी न होगी ।
इंसान हूं तभी ऐब से भरा हुआ हूं,
तेरी नजर नजरंदाज कर सकती होगी।
कितनी दुश्वारियों से भरी हुई हैं जिंदगी ,
तुझे मेरे हालातों की खबर जरूर होगी ।
इस पाक,सादा दिल की कीमत क्या है ?,
इस जहां को नहीं ,तुझे तो मालूम होगी ।
मुझे तो तुझसे प्यार भी है शिकवा भी ,
मगर तुझे भी तो मुझसे शिकायत होगी ।
मेरे दिल में है बहुत से जज्बातों के तूफान ,
कुछ कसक तेरे दिल में भी उठती होगी।
मैं इंसान हूं गिरता और संभलता रहता हूं ,
ईमान को मेरे तेरी रहबरी की जरूरत होगी ।
इंसान तो हूं मगर तेरा ही तो शाहकार हूं,
क्या तेरे ज़हन में कोई तस्वीर न बनी होगी ।
बनाया है मुझे तो कुछ सोच के ही बनाया होगा ,
मेरी हस्ती की संवारने की जिम्मेवारी तेरी होगी।
तू ही मेरा रहबर है मेरे खुदा ! रास्ता दिखा ,
मैं तो इंसान हूं आखिर ,मुझमें लियाकत न होगी ।