इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
इंसान की चाहत है, उसे उड़ने के लिए पर मिले
और परिंदे सोचते है उन्हें रहने के लिए घर मिले
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चाहत से राहत नही, कैसे करे हम नित योग
लोभ मोह तृष्णां मन से, करवाती नित भोग
सब जगह दर्शन किये,हम करते नित प्रयोग
सिया राम के दर्शन से, मिटा हैं क्षण भर रोग
प्रभु कि भक्ति करने से, अब मिटेगे सारे रोग
श्रेष्ठ कुल मे जन्म हमारा, सनातन धर्म हमारा
लोभ मोह की चाहत से, कोसो दूर है रहना
जीवन सुधरेगा ऐसे,गंगाजल के पानी जैसे
मानव जन्म सुधरेगा, चाहत अच्छी रखना हैं
ऋषि मुनि की वाणी से, मन से रोग मिटाना हैं
क्या ले के आया तू बंदे, साथ तेरे क्या जायेगा
करले भक्ति सिया राम कि, जीवन सफल हो जायेगा
राजा हो या हो भिखारी, मिट्टी मै मिल जायेगा
तेरे तो आगे पीछे केवल, पुण्य हि काम आयेगा
माया तो हैं क्षणिक सुख, फिर इसको कहा लुटायेगा
पल भर मै अपराध करवा दे,फांसी पर चढ़ जायेगा
कलयुगी प्रभाव से मानव, कैसे तू बच पायेगा
शांत मन से चिंतन करने से,जीवन तेरा सुधरेगा
हवन यज्ञ पूजा करने से, कर्म तेरा सुधरेगा