इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन के बंधनों से लाचार है जिसमे जकड़ कर वो अपनी मौलिक परिवर्तनकारी क्षमताओं को भूल बैठा है।
RJ Anand Prajapati
इंसान का कोई दोष नही जो भी दोष है उसकी सोच का है वो अपने मन के बंधनों से लाचार है जिसमे जकड़ कर वो अपनी मौलिक परिवर्तनकारी क्षमताओं को भूल बैठा है।
RJ Anand Prajapati