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14 Oct 2024 · 1 min read

“इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll

“इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
सचमुच अंधे हैं, या आंख मूद रहे हैं ll

चकाचौंध से ढोंग फल फूल रहा है,
दरबार जोरदार तालियों से गूंज रहे हैं ll

बुजुर्ग अपमानित जबकि बाबा सम्मानित हो रहे हैं,
अपमान के घूंट पीकर बुजुर्गों के नयन फफूंद रहे हैं ll

धर्म के नाम पर जो चिल्लाते फिरते हैं,
पाखंड का नाम आया तो सांप सूंघ रहे हैं ll

इससे ज्यादा और क्या चमत्कार दिखाएं,
बीज से बने विशालकाय वृक्ष पूंछ रहे हैं ll”

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