सहूलियत
इंसान अपने लिए हर सहूलियत चाहता है लेकिन दूसरे को सहूलियत देना हो तो हजार बहाने ढूंढता है कि देना न पड़े… अपनी कोई चीज देना नहीं चाहता और दूसरे की जितना बने उतना लेना चाहता है… मतलब शेयर कुछ नहीं करना चाहता और हड़पना सबकुछ चाहता है, दूसरों की खातिर थोड़ी भी गर्मी, ठंड, बरसात नहीं सहन कर सकता और अपनी खातिर दूसरों से समझौता कराना बहुत चाहता है । अब ऐसा व्यक्ति कितने भी तीरथ करे , भजन पूजन करे, सब बकवास है, समय की बर्बादी है उसकी मानसिकता तो जस की तस है। इन्हीं को कहते हैं धूर्त और पाखंडी और चालाक भी । जबकि सज्जन व्यक्ति हमेशा दूसरों के लिए समर्पित रहता है दूसरों का काम बनाने के लिए परिस्थितियों से समझौता कर लेता है। अब ऐसा व्यक्ति पूजा करे न करे उसका हर कर्म ही पूजा है भगवान ऐसे ही लोगों के मन मस्तिष्क में वास करते हैं, इसलिए उनको विनम्र और दयालु बनाते हैं।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 06 जुलाई 2024 )