Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 2 min read

इंडिया !! भारत से मिलवाता हूँ|

एक लोहे के बाहन मे, बैठा था एक ब्यापारी
सह यात्री से बोला जब बार्ता थी उनकी जारी

सात प्रदेश भ्रमण करने की इच्छा थी मेरे मन मे
बहुत शहरो को देख लिया अबतक इस जीवन मे
इस वृतांत मे इंडिया को, भारत से मिलवाता हूँ
इस यात्रा से आओ तुमको, अवगत करवाता हूँ|

सभी रसो की अनुभूति की. इस खंड मे काल के
हर उस छोटी बड़ी याद को, हमने रक्खा है संभाल के
श्रृंगार, करूँण और वीभत्स , रोज ही इनका पहरा था
शेला पास से गुजर रहेथे, भयानक रस का चेहरा था

हास्य तो शायद महसूस किया, हर घटते क्षण के साथ
मगर वो कोई भूल न पाया, प्रातः हुई तेजपुर की बात
चाय वाली बहन का जब, सामग्री बिना भी सेवा भाव
नहीं है बसुधा मे अभी, समर्पण- प्रेम का अभाव

भारत माता की सेवा मे जब देखा वीर जवानो को
बुमला पास के रखवालो को, मतवालों को दीवानो को
संचार मन मे ऊर्जा का था, नमन उनके बलिदानो को
स्मरण रहे सपूतो का भय, कितव चीनी खानदानों को

ग्रीष्म ऋतु मे आरम्भ हुई राष्ट्रीय राजधानी से
यात्रा सफल सम्पूर्ण हुई, कामाख्या के पानी से
प्रथम दिवस प्राँगण से लौटे, बिन देवालय जाये
दर्शन होते है तभी यहाँ, जब माता तुम्हे बुलाये

मनमोहक है दृश्य यहाँ मेघों का आलय है
बात चीत है अपनी उनसे जो इनके चालक है
स्वीकार् सभी बिनती की हमारी, वरुण, करुणसागर ने
मूल निवासी अति रोचस है, प्रेम बरसाया गागर से

सब संपन्न पूर्ण जीवन मे, फिर ये कैसी उदासी
क्या कभी तुम्हे कहा किसी ने, तुम मन से हो सन्यासी
परिधान व आभूषण आपके, कुछ और ही है कहते
पावन विचार आपके मानो, निर्मल जल से जैसे बहते

एक गुड़िया के आँसु है जो कारण ब्याकुलता का
कभी आपने प्रेम है देखा बृक्ष और लता का
नन्हे हॉथो की याद है जहाँ मोल न किसी सम्पति का
उत्तर दिया, मुस्कराया, कहा, यही नियम धर्म नियति का !!!

4 Likes · 2 Comments · 91 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"आभाष"
Dr. Kishan tandon kranti
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
Arghyadeep Chakraborty
कोरोना काल में काल से बचने के लिए
कोरोना काल में काल से बचने के लिए "कोवी-शील्ड" का डोज़ लेने व
*प्रणय*
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
चलो आज वक्त से कुछ फरियाद करते है....
रुचि शर्मा
“नये वर्ष का अभिनंदन”
“नये वर्ष का अभिनंदन”
DrLakshman Jha Parimal
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
पूर्वार्थ
हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
हनुमान जन्म स्थली किष्किंधा
Er.Navaneet R Shandily
दूर दूर रहते हो
दूर दूर रहते हो
surenderpal vaidya
अहंकार
अहंकार
Bindesh kumar jha
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Sushil Pandey
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
हंसें और हंसाएँ
हंसें और हंसाएँ
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हर
हर "प्राण" है निलय छोड़ता
Atul "Krishn"
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
gurudeenverma198
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
पंकज परिंदा
*मैं और मेरी तन्हाई*
*मैं और मेरी तन्हाई*
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आंख मेरी ही
आंख मेरी ही
Dr fauzia Naseem shad
Khwahish jo bhi ho ak din
Khwahish jo bhi ho ak din
Rathwa Dipak Dipak
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
गुरु गोविंद सिंह जी की बात बताऊँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
3717.💐 *पूर्णिका* 💐
3717.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
कौन कहता है वो ठुकरा के गया
कौन कहता है वो ठुकरा के गया
Manoj Mahato
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
हमने तूफानों में भी दीपक जलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
परिवार, घड़ी की सूइयों जैसा होना चाहिए कोई छोटा हो, कोई बड़ा
परिवार, घड़ी की सूइयों जैसा होना चाहिए कोई छोटा हो, कोई बड़ा
ललकार भारद्वाज
आज का दिन
आज का दिन
Punam Pande
इश्क़  जब  हो  खुदा  से  फिर  कहां  होश  रहता ,
इश्क़ जब हो खुदा से फिर कहां होश रहता ,
Neelofar Khan
Loading...