इंकलाब की मशाल
मशालें उठ
चुकी हैं अब
मशालें जल
चुकी हैं अब…
(१)
अंधेरों को
ख़बर कर दो
मशालें चल
चुकी हैं अब…
(२)
तूफानों से
लड़ने को
मशालें तुल
चुकी हैं अब…
(३)
इसका अंज़ाम
क्या होगा
मशालें भूल
चुकी हैं अब…
(४)
वक़्त और
हालात में
मशालें ढल
चुकी हैं अब…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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