23/200. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
"अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
*अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)*
स्त्रीत्व समग्रता की निशानी है।
विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।।
गवाह तिरंगा बोल रहा आसमान 🇧🇴
*20वे पुण्य-स्मृति दिवस पर पूज्य पिता जी के श्रीचरणों में श्
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया