घायल मन पुकारता तुम्हें, परमात्मा, कैसे करूं तेरी आराधना, सज
बुंदेली दोहा-सुड़ी (इल्ली)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माटी के पुतले और न कर मनमानी
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
23/92.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मायड़ भासा री मानता
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
एक गल्ती ने सांवरे की, नजरों से गिरा दिया।
दुनियां का सबसे मुश्किल काम है,
तुझे बंदिशों में भी अपना राहगुज़र मान लिया,
Lately, what weighs more to me is being understood. To be se
पेड़ कटता जा रहा झूठे विकासों में ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
#यदि . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी