आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
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भारतीयता का अहसास नहीं,
ईसवी में है विश्वास नहीं।
इसमें अपनों का प्यार नहीं,
आर्यों से कोई सरोकार नहीं।
ये कृतिम पर्व है जाने दो,
जिनका है उन्हें मनाने दो।
नव वर्ष न हो उपहास प्रिय,
बस आ जाये मधुमास प्रिय।
सब मिलकर खुशी मनाएंगे,
झूमेंगे नाचे गायेंगे।
पतझड़ का मौसम जाने दो,
ऋतुराज सौंदर्य आने दो।
धरती पर आए हरियाली,
शुभ गन्ध से कुछ न हो खाली।
नव वर्ष की रखो आश प्रिय।
बस आ जाये मधुमास प्रिय।
अभी तन मन दोनों कांप रहे,
पशु पंक्षी देखो हांफ रहे।
तारों संग चंदा ठिठुर गया,
सर्दी में सूरज बटुर गया।
मुरझाई बागों की कलियां,
अभी खेतों कहाँ हैं फलियां।
नव वर्ष में हो कुछ खास प्रिय,
बस आ जाये मधुमास प्रिय।
अमराई बौरों से फूलें,
एक दूजे के संग में झूलें ।
कोयल कू कू करके गाये,
और मैना मैं न हो जाये।
होली का लाल गुलाल तो हो,
फागों में कुछ सुर ताल तो हो।
ठहरो न करो उदास हिये
बस आ जाये मधुमास प्रिय।
गेंहू में कलगी आएंगी,
सरसों के संग इठलांयगी।
गैरों के संग अपने होगें,
पूरे सारे सपने होंगे।
जरा चैत परिपदा आने दो,
नव दुर्गा मां को मनाने दो।
रखेगें मिल उपवास प्रिय,
बस आ जाये मधुमास प्रिय।
-सतीश सृजन