आ गए हम तो बिना बुलाये तुम्हारे घर
आ गए हम तो, बिना बुलाये घर तुम्हारे।
नहीं थे जबकि हम तो, कोई खास तुम्हारे।।
आ गए हम तो —————————।।
तुम्हारी तो कभी नही, होगी हमारी ही बदनामी।
बदलकर रूप अपना, होश उड़ाने को तुम्हारे।।
आ गए हम तो —————————।।
तुम्हें तो फुरसत नहीं है, याद तुम हमको कर लें।
जलाने को बुझे हुए, हम शोलें तुम्हारे।।
आ गए हम तो —————————।।
देखना चाहते हो जो, नहीं है वैसी तस्वीर।
दिखाना चाहते हैं तुमको, पुराने मुखड़ें तुम्हारे।।
आ गए हम तो —————————।।
रब से दुहा हमारी है, तुमको मिले बहुत खुशियां।
नहीं होंगे हरगिज कम, फासलें हमसे तुम्हारे।।
आ गए हम तो —————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)