*आ गई है खबर बिछड़े यार की*
आ गई है खबर बिछड़े यार की
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आ गई है खबर बिछड़े यार की,
ज्योत जग सी गई है परिवार की।
जब मिली थी नजर आहों से भरी,
खिल गई है कली बिसरे प्यार की।
आ गया है समझ सारा माजरा,
साँझ खुशियों भरी है दिलदार की।
बात उन से हुई जां में जां आ गई,
मिल गई आज खुशियां संसार की।
दात पुरी हुई शुक्रिया ओ खुदा,
दीद कब से हमें थी दीदार की।
शाम ढल भी गई मनसीरत नहीं,
आश थी ही नहीं प्रिय उपहार की।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)