आ कान्हा तुझे तिलक लगाऊँ भजन अरविंद भारद्वाज
आ कान्हा तुझे तिलक लगाऊँ
आ कान्हा तुझे तिलक लगाऊँ, पलने में तुझको मैं झुलाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
मुरली मनोहर देवकीनंदन, आज करूँ तेरा अभिनंदन
झलक दिखाओ प्रेम सिखाओ, मस्तक पर मैं लगाऊँ चंदन
मस्तक पर तेरे मोर पंख को झूम झूम सबको मैं दिखाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
दुष्टों का संहार करो तुम , जीवन का उद्धार करो तुम
कलयुग में फिर से है जरूरत, आकर नैया पार करो तुम
पलना छोटा सा प्यारा सा अपने हाथों से मैं बनाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
कंस -पूतना फिर से है आए , नर की पीड़ा बढ़ती है जाए
महामारी फैली है जग में , दुख के काले बादल है छाए
वेदना बढ़ती धरती माँ की आओ, तुमको फिर से आज दिखाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
अपना सुदर्शन फिर से उठाओ, ग्रास काल को फिर से बना लो
आन पड़ी है विपदा जगत में, फिर विराट ये रूप बना लो
मन की पीड़ा फिर से कान्हा, आओ तुमको आज सुनाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
हाँड़ी दही की फिर है सजाई, उस पर डोर न मैंने लगाई
माखन खाने ही आ जाओ, मात-यशोदा के कृष्ण कन्हाई
बाल रूप में फिर से तुमको, योद्धा फिर से आज बनाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
प्यारी धुन तुम आज सुनाओ, सम्मोहित मुझको कर जाओ
गीता ज्ञान फिर से तुम दे दो, मेरे ह्रदय में फिर बस जाओ
दही की हांडी हाथ में लेकर, आओ तुमको भोग लगाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
कान्हा अब ना देर करो तुम, सब्र का सागर अब ना भरो तुम
पलकें बिछाए बैठे राह में , तृष्णा मन की शांत करो तुम
मन मंदिर में तुम्हें बिठाकर, सबको मैं दर्शन करवाऊँ
लोरियाँ मीठी-मीठी सुना कर, हाथ में बाँसुरी तुम्हें थमाऊँ ।।
© अरविंद भारद्वाज