आड़
धर्म की आड़ में पाप किये जा रहे हैं
कर्म की आड़ में नोट छापे जा रहे हैं
जिनकी गवाही मात्र से अपराधी छूट जाते थे
वही जैनी आज अपराध किये जा रहे हैं
धर्म की आड़ में पाप किये जा रहे हैं
कर्म की आड़ में नोट छापे जा रहे हैं
जिनकी गवाही मात्र से अपराधी छूट जाते थे
वही जैनी आज अपराध किये जा रहे हैं