आज़ादी
ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन,
मेरे दिल में तूँ कितना समाया हुआ,
उस शाहदत को कैसे भुला देंगे हम,
खून में जो सना और नहाया हुआ,
ऐ जहां ऐ जहां ऐ जहां ऐ जहां,
तेरी किस्मत में सब कुछ पराया हुआ,
जलियांवाला हो या पार्क अल्फ़्रेड हो,
हर जगह हर कोई ही सताया हुआ,
अब जरूरत है चलना उसी राह पे,
जो शहीदों के द्वारा दिखाया हुआ,
आप भूलेंगे कैसे शहीदे भगत,
जो फिरंगी की राहों में आया हुआ,
चाहते हैं अगर आप मिल के रहे,
फिर तो ऐसा मुकम्मल जहां चाहिए,
नफरतों की दीवारों को तोड़ो सभी,
जगमगाता सबेरा हमें चाहिये,
क्या गलत है सही क्या सोचो जरा,
आंख मूदोगे फिर तो दिखेगा नहीं,
जाति धर्मों में यदि तुम बटें ही रहे,
चित्र भारत का दिल मे बनेगा नहीं,
चाहते हैं अगर आप विश्वगुरु हम बने,
फिर तो कुछ त्याग तुमसे हमें चाहिए,
जो भी निर्णय करो देश हित मे रहे,
कौम से तो ना बड़ा फिर जहां चाहिए,