आज़ादी के दीवाने
मै सदा ही भारत की गौरव गाथाएं ही दोहराती हूँ,
आज़ादी के दीवानो को नित नित शीश झुकाती हूँ,
आज़ाद,भगत सिंह, बिस्मिल से पुत्र यहाँ बलवान हुए,
देश की आजादी के खातिर लाखों सिर कुर्बान हुए,
अमर शहीदों के बलिदानों की गाथा मै गाती हूँ,
आज़ादी के दीवानो को नित नित शीश झुकाती हूँ,
धर्मक्षेत्र और कुरुक्षेत्र है यहीं पे हल्दीघाटी है,
वीरों के शोणित से उर्वर भारत देश की माटी है,
भारत के पावन रज को माथे धर तिलक लगाती हूँ,
आज़ादी के दीवानो को नित नित शीश झुकाती हूँ,…