आवाहन
देश के युवाओं जागो उठो अपनी शक्ति एवं
सामर्थ्य को पहचानो !
आस्था के नाम पर अंधविश्वास के तिमिर से
बाहर आओ !
जाति एवं संप्रदाय के नाम पर विघटनकारी शक्तियों के
चंगुल से अपने को बचाओ !
अपने आत्मविश्वास एवं आत्म सम्मान को
जागृत करो !
ये ना समझो कोई तुम्हारा भाग्य विधाता है !
तुम्हारा कर्म ही तुम्हारा भविष्य निर्माता है !
देशभक्ति के खोखले नारो से अब कोई काम ना चलेगा !
सत्यनिष्ठा एवं कर्मनिष्ठा से ही देश का भविष्य बचेगा !
काल्पनिक उड़ान के वारिद में भटकने के स्थान पर
यथार्थ के धरातल पर कदम रखो !
अपने ज्ञान एवं प्रज्ञाशक्ति को निखारो
अपने अंतस्थ दृढ़ संकल्प निर्मित करो !
तुममें वह शक्ति है जो चट्टानों को तोड़कर
प्रपात का उद्भव कर सकती है !
रेगिस्तान में मधुबन का निर्माण कर सकती है !
नभ में भी आवास निर्मित कर सकती है !
अपने अनथक प्रयासों से अन्वेषण के
नवआयाम रचित कर सकती है !
भौतिक स्वार्थी सुखी जीवन के मायाजाल से
स्वयं को मुक्त करो !
सार्थक जीवन जीने के तत्व को पहचानो !
मानवता एवं मानवीय गुणो को विकसित करो !
तुम देश के कर्णधार हो !
देश की अस्मिता एवं भविष्य का आधार हो !
यदि तुम दृढसंकल्पित भाव से देश को उन्नति के
पथ पर अग्रसर न कर पाए !
तब यह निश्चित है देश की अस्मिता एवं भविष्य
खतरे में पड़कर और फिर ना उबर पाए !