Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

आहूति

सुनसान दोपहर में

आहट पवन की

पीछे मुड़कर देखा

एक छाया, तुम्हारे स्मृति की

केले के पेड़ के फटी हुई पन्नों से

आधा छिपता, आधा दिखता

गुम्बद मंदिर का

चेष्टा एक मूर्ति गढ़ने की

मगर

ज़िद्दी नदी का चंचल पानी

मिटाने न लगें पदचिन्ह मेरे।

कमजोर नजर

धुंधले पन को खिंचकर

बाहर निकालने की कोशिश

किंतु

वो भी अभिन्न अंश मेरे अंग का

स्वप्न तो जैसे

काठपुतली के वर-वधू

उलझ जाते हैं उस पतली सी डोर में

बीते दिनों का पन्ना पलट कर

प्रवेश कर रही हूँ

तुम्हारे भीतर

बीते हुए एक मुहूर्त के लिए

मैं ढूंढ नहीं पाई रही हूँ

खुद को

तुम को

फिर भी पार करती जा रही हूँ

प्रतिध्वनि की पदचिन्ह

जी रही हूँ ,

मैं एक इज्या

शब्दों से भरे एक पृष्ठ में

पुराना एक

अल्पविराम जैसे।

इज्या – यज्ञ

पारमिता षडगीं

81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
#यूँ_सहेजें_धरोहर....
*प्रणय*
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
हाइकु
हाइकु
भगवती पारीक 'मनु'
प्रथम दृष्ट्या प्यार
प्रथम दृष्ट्या प्यार
SURYA PRAKASH SHARMA
4216💐 *पूर्णिका* 💐
4216💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कभी उलझन,
कभी उलझन,
हिमांशु Kulshrestha
"अकेलापन"
Dr. Kishan tandon kranti
क़दम-क़दम पर मुसीबत, मगर ये तय कर लो,
क़दम-क़दम पर मुसीबत, मगर ये तय कर लो,
पूर्वार्थ
होठों की हँसी देख ली,
होठों की हँसी देख ली,
TAMANNA BILASPURI
मज़हब नहीं सिखता बैर
मज़हब नहीं सिखता बैर
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
Still I Rise!
Still I Rise!
R. H. SRIDEVI
दिल को दिल से खुशी होती है
दिल को दिल से खुशी होती है
shabina. Naaz
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
*छोटे होने में मजा, छोटे घास समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
संस्कारी बड़ी - बड़ी बातें करना अच्छी बात है, इनको जीवन में
Lokesh Sharma
सन्देश खाली
सन्देश खाली
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
* जब लक्ष्य पर *
* जब लक्ष्य पर *
surenderpal vaidya
नदी का किनारा ।
नदी का किनारा ।
Kuldeep mishra (KD)
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
तेरा हम परदेशी, कैसे करें एतबार
gurudeenverma198
सुरमई शाम का उजाला है
सुरमई शाम का उजाला है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
होली
होली
नूरफातिमा खातून नूरी
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
सर पर हाथ रख दूं तो आजाद हो जाएगा,
P S Dhami
सुबह
सुबह
Neeraj Agarwal
दहेज की जरूरत नहीं
दहेज की जरूरत नहीं
भरत कुमार सोलंकी
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
बिंते-हव्वा (हव्वा की बेटी)
Shekhar Chandra Mitra
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
Loading...