आहुति
दे कर प्राणो की आहुति जीवन को साकार करो
रक्त से अपने भारत माँ के चर्णों का सिंगार करो
तूफ़ानों से आँख मिलाओ मौजों पे प्रहार करो
अपनी हिम्मत के बल बूते भव सागर को पार करो
जैसा पशुओं में होता है मत ऐसा व्यवहार करो
इंसानाँ हो तो इंसानों सा इंसानों से प्यार करो
निजी स्वार्थ की ख़ात़िर अपने जो हम को लड़वाते हैं
लानत भेजो उन लोगों पर उन सब का तिरस्कार करो
हमने माना रस्मे वस्मे तोड़ के आना मुश्किल है
सपनों में तो आओ जाओ इतना तो उपकार करो
जीवन में संतुष्टि की गर मन में इच्छा रखते हो
राजनीति को ठोकर मारो संसद का बहिष्कार करो
अपने आँख और कान हमैशा खुले रखो तो अच्छा है
ना मानो तो भाड़ मे जाओ, जाओ हाहाकार करो
( ख़ुमार देहल्वी )
07/02/2023