आस-पास।
इंसानों का अस्तित्व तो एक दिन ख़त्म हो जाता है,
लेकिन किसी से जुड़ी अच्छी भावनाऐं,
हमेशा रह जाती हैं,
यहीं-कहीं,आस-पास,
कभी न ख़त्म होने के लिए।
इसीलिए कहते हैं ना कि,
भले ही इंसान पास हो या दूर,
जज़्बातों का हमेशा बना रहना चाहिए नूर,
इंसान साथ हो ना हो,
पर उसकी याद हमेशा साथ होनी चाहिए,
अल्फाज़ों की गिनती कम ही सही,
पर कम से कम बात तो हमेशा होनी चाहिए।
-अंबर श्रीवास्तव।