आस और विश्वास।
जैसे है तन के लिए, बहुत जरूरी स्वास ।
वैसे ही मन के लिए, आस और विश्वास।।
आस और विश्वास,मनुज को जिन्दा रखता।
भूले सारे दर्द,शहद खुशियों का चखता।।
जो हो आशावाद,करे प्रयास नित ऐसे।
फैलाये सर्वत्र,महक चंदन के जैसे।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली