आस अभी वाकी है
हो नहीं पाती है तुमसे मुलाकात तो क्या ?
तुम साथ हो, यही अहसास काफी है,
यूँ तो बढ़ते ही जा रहे हैं फ़ासले दर फ़ासले,
फिर भी तुमसे मिलने की आस अभी वाकी है।
हो नहीं पाती है तुमसे मुलाकात तो क्या ?
तुम साथ हो, यही अहसास काफी है,
यूँ तो बढ़ते ही जा रहे हैं फ़ासले दर फ़ासले,
फिर भी तुमसे मिलने की आस अभी वाकी है।