आसमान
आसमान
टीना और श्रुति अच्छी सहेलियां थीं। दोनों एक अनाथ आश्रम में रहती थीं। दोनों हमेशा साथ रहती और एक दूसरे के बिना खाना तक नहीं खाती थीं। टीना हमेशा बैठ कर आसमान की तरफ निहारा करती और श्रुति उससे हमेशा पूछती कि आखिर वह क्या देखती है। श्रुति के पूछने पर टीना कहती उसे ये आसमान चाहिए। अनाथ आश्रम में बहुत से लोग आते और उन बच्चो की मदद करते जैसे कोई खिलौने ,कोई कपड़े आदि लाता। वे दोनो हमेशा एक जैसा ही समान लेती परंतु अगर कभी कोई उनकी पसंद पूछता कि उनको क्या चाहिए, टीना हमेशा यही कहती की उसे आसमान चाहिए। उसकी इस आसमान वाली बात को आश्रम में सभी जानते थे। एक दिन आश्रम की वार्डन आईं और टीना से बोली कि चल तुझे तेरा आसमान लेने आया है,टीना उनके साथ उनके ऑफिस में गई तो देखा कि वहां एक पति -पत्नी बैठे थे जो की उसे गोद लेना चाहते थे। टीना श्रुति को छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी पर वार्डन के समझाने और आसमान को पाने की चाहत ने उसे उनके साथ जाने को मजबूर कर दिया। टीना चली गई, आसमान तो पता नहीं पर उसे नए माता पिता और घर जरूर मिल गया था। टीना के जाने के बाद श्रुति बहुत उदास रहने लगी, उसे टीना की बहुत याद आती थी परंतु उसकी ये उदासी ज्यादा दिन तक नहीं रही और एक दिन किसी ने उसे भी आश्रम से गोद ले लिया। श्रुति भी अपने नए माता पिता के साथ अपने नए घर चली गई।
समय बीत गया दोनो शायद एक दूसरे को भूल कर बड़े हो गए। दोनो को आश्रम छोड़े लगभग 12 साल हो गए थे।
श्रुति पढ़ लिख कर इंजीनियर बन गई थी और एक बड़ी कंपनी में काम करती थी।
एक दिन कंपनी के काम से कही बाहर जाते हुए श्रुति को एयरपोर्ट पर एक लड़की दिखी जो की पायलट की वेशभूषा में थी, उसको देखते ही श्रुति अचानक से उठी और उसके मुंह से निकला , टीना!!
पायलट के कपड़ों वाली लड़की भी ये नाम सुनकर अचानक रुक गई और पीछे पलट कर देखा, श्रुति की तरफ ध्यान से देखते हुए वो खुशी से लगभग चीख ही पड़ी, श्रुति तू!!!
दोनो ने झट से एक दूसरे को गले लगा लिया और आंखों में भरे आंसुओं के साथ श्रुति ये कहते हुए खुशी से रोने लगी, ” आखिर तुझे तेरा आसमान मिल ही गया।”
-शाम्भवी शिवओम मिश्रा