आसमान से अब मत पूछो,
आसमान से अब मत पूछो,
धरती की क्या-क्या पीड़ा है,
उसे पर्वत तो नहीं, दिखता है
दिखता है तिनके से छोटा हीरा।
बिंदेश कुमार झा
आसमान से अब मत पूछो,
धरती की क्या-क्या पीड़ा है,
उसे पर्वत तो नहीं, दिखता है
दिखता है तिनके से छोटा हीरा।
बिंदेश कुमार झा