आश्वासन
आश्वासन सबको दिया, निपटाया निज काम।
उल्लू सीधा कर लिया, फिर क्यों करे सलाम।
फिर क्यों करे सलाम, बेवज़ह तर्क न बनता।
अपना बनता काम, भाड़ में जाए जनता।
कह संजय कविराय, यही सर्वोत्तम आसन।
रखे निरोगी काय, निभाओ मत आश्वासन।
संजय नारायण
आश्वासन सबको दिया, निपटाया निज काम।
उल्लू सीधा कर लिया, फिर क्यों करे सलाम।
फिर क्यों करे सलाम, बेवज़ह तर्क न बनता।
अपना बनता काम, भाड़ में जाए जनता।
कह संजय कविराय, यही सर्वोत्तम आसन।
रखे निरोगी काय, निभाओ मत आश्वासन।
संजय नारायण