.✍️आशियाना✍️
✍️✍️आशियाना✍️✍️
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कलेजे को
हाथ में रखकर
जिस्म को
तपाना पड़ता है
नंगे धुप में,
रूह को
भिगाना पड़ता है
धुँवाधार
बेरहम बारिश में,
और
साँसों को
ठिठुरना पड़ता है
कपकपाती
बेदर्द ठंड में,
तब जाकर उसके
बुनियाद का पहला
पत्थर रचा जाता है…!
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✍️”अशांत”शेखर✍️
13/06/2022