आशा की एक किरण
चारों ओर जब काली घटाएं छायी होंगी
पतझड़ का मौसम ,बिन मौसम बरसातें होंगी
सूरज जब आसमान में ढक जाते हैं बादल से
धूप की किरणों का जब,मिलना मुश्किल होंगी
फिर मन को हौले-हौले से ये बात समझाना होगा,
कटे पेड़ से भी जब,फिर से कोपलें उग आती है
नित नए संघर्ष से टूटकर ,जिंदगी से ना घबराना होगा
मन में हौसलों को जगाकर अपना साथी बनाना होगा
जागी से आज फिर दिल में, आशा की एक किरण
मिट कर भी खिलना होगा,भरकर मन में नई उमंग
ममता रानी
दुमका, झारखंड