आशा – कहानी
आशा एक गरीब परिवार की लड़की है | उसके माता – पिता दोनों खेतिहर मजदूर हैं | आशा को बचपन से ही पढ़ाई से लगाव है | जब वह मात्र तीन साल की थी तब से ही वह ज़मीन पर कुछ न कुछ उकेर दिया करती थी | उसके माता – पिता चाहकर भी उसे पढ़ाने की स्थिति में नहीं थे | वे सोचते थे कि एक गरीब मजदूर की लड़की कैसे पढ़ सकती है | वे न चाहते हुए भी उसकी पढ़ाई रोकना चाहते थे | धीरे – धीरे आशा पांच वर्ष की हो गयी |
आशा के मामा उसके घर से करीब 200 किलोमीटर दूर रहते हैं | एक दिन आशा के मामा उसके घर आते हैं | आशा अपने मामा से अपने दिल की बात बता देती है कि वह पढ़ना चाहती है पर मैं चाहकर भी पढ़ नहीं सकती | वह अपने मामा को पढ़ाई के लिए राजी कर लेती है | उसके मामा उसे अपनी साथ किसी बहाने से अपने साथ ले जाते हैं | और आशा के माता – पिता को बिना बताये आशा को स्कूल भेजने लगते हैं |
आशा के मामा जब भी अपनी बहन के घर आते तो हर बार कोई न कोई बहाना बना देते कि आशा का हमारे घर में मन लग गया है | वह वापस नहीं आना चाहती और वो अपनी मामी की भी घर के काम में मदद करने लगी है | आशा के माता – पिता आश्वस्त हो जाते हैं कि आशा के मामा ने उनकी बच्ची की जिम्मेदारी ले ली है | वे गरीब किस तरह अपनी बच्ची की देखभाल करते |
आशा धीरे – धीरे अपनी पढ़ाई जारी रखती है और स्कूल में सभी स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करती है और अपने मामा – मामी का नाम रोशन करती है | किन्तु आशा के मामा अपनी बहन को इस बारे में चाहकर भी कुछ नहीं बताते | बीच – बीच में आशा अपने माता – पिता से आकर मिल जाती और जल्दी ही वापस चली जाती ताकि पढ़ाई का नुकसान न हो | आशा के माता – पिता को आशा में होते बदलाव नज़र तो आने लगते हैं पर वे सोचते हैं कि आशा के मामा – मामी को बुरा न लगे इसलिए कुछ नहीं कह पाते |
आशा अब कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुकी है | बीच – बीच में आशा के माता – पिता उसकी शादी के बारे में आशा के मामा – मामी को कहते हैं किन्तु आशा शादी की बात को हमेशा टाल देती है | आशा के मामा भी आशा की शादी बाद में करने की बात कहकर टाल देते |
करीब तीन साल बाद अचानक एक दिन आशा अपने मामा के साथ घर आती है और अपने माता – पिता को अपने साथ शहर ले जाती है | एक नए मकान में अपने माता – पिता को जब आशा लेकर आती है तो माता – पिता पूछ बैठते हैं कि ये मकान किसका है और क्या इसे किराए पर लिया है तेरे मामा ने | इस बार आशा सच बता देती है और कहती है कि उसके मामा – मामी के सहयोग और आशीर्वाद से मैं आज इस मुकाम पर हूँ | मामा – मामी ने मुझे पढ़ाया आप सब से छुपाकर | और आज मैं एक सरकारी स्कूल में टीचर हूँ | आशा में माता – पिता की आँखों में ख़ुशी के आंसू झलक पड़ते हैं | वे आशा के मामा के सामने हाथ झुकाकर खड़े हो जाते हैं और उनके योगदान के लिए उनका शुक्रिया अदा करते हैं |
आशा ने अपने माता – पिता को खेतिहर मजदूर की जिन्दगी से ऊपर उठाकर एक टीचर के माता – पिता के आसन पर बिठा देती है |