आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
(शेर)- बंजर बनी धरती को कैसे, स्वर्ग बनायें हम।
बढ़ती गर्मी- तापमान को, कैसे घटाये हम।।
लगे सुनहरी दुल्हन सी, यह हमारी धरती माता।
इसीलिए तो आवो मिलकर, पौधें लगायें हम।।
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आवो रे आवो, आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम।
धरती पे हरियाली पौधें लगाकर, आवो बढ़ाये हम।।
आवो रे आवो, आवो रे—————————–।।
मिलती है प्राणवायु , पेड़ों से ही हमको।
मिलता है भोजन भी, पेड़ों से भी हमको।।
पेड़- पौधों के बिना जिन्दा कैसे, रह पायेंगे हम।
आवो रे आवो, आवो रे————————।।
बढ़ेगा तापमान, पेड़ कम होने पर।
बढ़ेगा प्रदूषण भी, पेड़ों के घटने पर।।
जीवों का विनाश पेड़ों के बिना, रोक नहीं पायेंगे हम।
आवो रे आवो, आवो रे————————।।
पेड़ों के बिना, यह वर्षा नहीं होगी।
धरती पे बाढ़, और तबाही होगी।।
पौधें लगाकर कर्ज धरती का, आवो चुकाये हम।
आवो रे आवो, आवो रे———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)