आवाज
सुन रहा ना कोई गरीब की आह
बहरा पड़ा है ये अपना समाज
जगाना है इस समाज को
सुना दो सबको कलम की आवाज
तानाशाही ना रही फिर भी जुल्म
भले लोग है यहाँ पर नही राम राज
अब समझाने का एक ही रास्ता
सुना दो सबको कलम की आवाज
आँखों में मोहबत मोहबत में दिलरुबा
दिल में दिलरुबा का ही राज
कुछ शेर शायरी सुन ना चाहे वो
सुना दूँ उनको कलम की आवाज