आल्हा छंद
आल्हा छंद = चौपाई छंद + चौपई
31 =16+15 पदांत पर गुरु लघु अनिवार्य
सृजन शब्द- कुर्बानी
कर्म वीर बांका अलबेला,उसका विक्रम बत्रा नाम,
वीर देश का बड़ा निराला,पालमपुर में उसका धाम।
रण जीता करगिल का उसने, भागा बैरी हो नाकाम,
चुन-चुन के थे मारे दुश्मन, आया तब उसको आराम।
दुश्मन सैनिक को ललकारा, दुर्गम राहों में था काम।
खून बदन से रिसता सबके,मचा हुआ था कत्ले आम।
दुश्मन ने जब उनको घेरा, किया बम्ब से उन्हें तमाम।
घायल तन था फिर भी लड़ते, भीषण सा था वो संग्राम।
कुर्बानी दी लड़ते-लड़ते, मौत बड़ी थी वो अभिराम,
कफ़न ओढ़ फिर लिया तिरंगा, नयन बहें सब के अविराम।
सीमा शर्मा ‘अंशु’