** आलोक पर्व पर **
दीपों की अवली जिस भांति अमा कालिमा हर जाती
हम एक एक बन दीप-पंक्ति हिंदी का यूं तम हर जाती
मुस्काती यूं उजियारा बन दूर तलक आलोक पर्व पर
बन पथप्रदर्शक आनेवाली पीढ़ी को आगाह कर जाती ।।
?मधुप बैरागी
दीपों की अवली जिस भांति अमा कालिमा हर जाती
हम एक एक बन दीप-पंक्ति हिंदी का यूं तम हर जाती
मुस्काती यूं उजियारा बन दूर तलक आलोक पर्व पर
बन पथप्रदर्शक आनेवाली पीढ़ी को आगाह कर जाती ।।
?मधुप बैरागी