आरती
आरती
आरती बहुत खुश थी,आज कॉलेज में उसका पहला दिन था। उसका सपना था एक अच्छे से कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करे और फिर अच्छी सी जॉब करे,ताकि वो अपने परिवार की मदद कर सके।
उसके परिवार में बस माँ और एक छोटा भाई था, उसके पिता की एक दुर्घटना में मौत हो चुकी थी।
उसकी माँ ही अब उसका सहारा थी।
आरती का एक दोस्त था ,विवान उसके ही शहर का,धीरे-धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदलती चली गयी।दोनों एक दूसरे से काफी प्यार करते थे। आरती का स्वभाव बहुत ही निर्मल था। वो एक बहुत अच्छी इंसान भी थी।
विवान का स्वभाव बहुत अजीब हो जाता था कभी -कभी वो आरती को हमेशा दबा के रखना चाहता था, वो किसी लड़के से ऐसे भी बात करे तो ,उसको बहुत कुछ सुना देता था।
आरती को लगता था ,कि शायद वो थोड़ा ज्यादा पॉजिसिव है उसके लिए, धीरे -धीरे वो उसको समझने लगेगा।
कुछ दिनों के बाद आरती को अपना कॉलेज जॉइन करने के लिए जाना था, तो वो चले गयी । अब विवान से फोन से ही बातें होती थी। धीरे -धीरे आरती पढ़ाई में अपना टाइम ज्यादा देती थी,ताकि उसके मार्क्स अच्छे आये। विवान समझने की बजाय उससे टाइम ना देने पे बोलते रहता था,जिसके कारण दोनों में अधिकतर बहस होने लगी।
दूरियों में विवान का आरती पर से विश्वास धीरे -धीरे खत्म होने लगा,विवान के मन में शक ने जगह ले ली।और अगर किसी के मन में एक बार शक का भाव उत्पन्न हो जाये तो फिर वो बढ़ता ही चला जाता है , और दूरियां इसमें खाई का काम करने लगी।
जिसके कारण आरती का पढ़ाई में ध्यान भटकने लगा,और मानसिक रूप से वो बहुत परेशान रहने लगी।
विवान का बर्ताव कुछ ज्यादा ही खराब होते चला गया, उसको लगने लगा कि आरती उसे धोखा दे रही है, जबकी ऐसा नहीं था।
आरती के लाख समझाने से भी उसको उसपे विश्वास खत्म हो गया।
अब आरती को सब समझ आ गया था,की अगर वो उसके साथ रही तो वो उसकी लाइफ में परेशानी का ही कारण बनेगा सिर्फ। जिस वजह से अब वो दूर रहने लगी ,और उससे रिश्ता खत्म करने की बात की।जिस बात से विवान के अहम को ठेस लगी और विवान उसे ब्लैकमेल करने लगा।
आरती को समझ नहीं आ रहा था, की वो करे तो क्या करे, वो उससे पीछा कैसे छुड़ाए।
इसी परेशानी में वो एक दिन कॉलेज के अंदर ही कैफ़ेट एरिया में अकेले बैठी थी, तभी कबीर की नजर उस लड़की पर पड़ी, कबीर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था,और एक ही क्लास में ,पर कभी भी उन दोनों में बात नहीं हुई थी।
हालांकि कबीर ने जब आरती को देखा था, तो उसकी खूबसूरती और नटखटपन उसको भा गयी थी ,उसे वो अच्छी लगती थी, वो उससे दोस्ती करना चाहता था,पर कभी उससे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
बस दूर से ही उसे देखता था,वो थी भी बहुत खूबसूरत, बड़ी बड़ी आँखे, लंबे काले घने बाल ,
मीठी बोली,वो बस उसे दूर से ही निहारता था।
लेकिन आज उसे इस तरह से उदास बैठा देख, यूँ गुमसुम, तो उससे रहा नहीं गया, वो भी उसके पास बैठ गया, और उसकी परेशानी की वजह जानने की कोशिश की, पहले तो वह बताना नहीं चाहती थी, पर उसके बार बार पूछने से उसने उसको सारी बातें बता दी, ये बात सुनके कबीर ने कहा तुम चिंता मत करो , और तुम्हें उससे डरने की जरूरत नहीं है, मैं तुम्हारे साथ हूँ, वो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
कबीर की बात सुनके आरती को काफी अच्छा महसूस हुआ, कबीर ने उस लड़के से बात की उसको समझाया जब ये तेरे साथ रहना नहीं चाहती तो तुम इसके साथ जबरदस्ती क्यों कर रहे हो,इस बीच दोनों में बहुत बहस हुई, कबीर को जब लगा की अब वो ऐसे नहीं मानेगा तो, उसने पुलिस को बताने की धमकी दी तो वो डर गया, और आरती को परेशान करना छोड़ दिया।
आरती को अब सुकून मिला और उसे एक अच्छा और सच्चा दोस्त जो मिल गया था। आरती फिर से उसके साथ प्यार से पहले की तरह हो गयी,धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया, दोनों एक दूसरे की काफी मदद करते थे।
उन दोनों का प्यार इतना प्यारा था कि, कॉलेज में सभी दोस्त वो लोग को तोता मैना बोलने लगे, दोनों का साथ बहुत अच्छा था, एक दूसरे की फिलिंग की रिस्पेक्ट करते थे, और एक दूसरे पर बहुत भरोसा करते थे। साथ -साथ घूमना फिरना, मौज मस्ती करना, सभी दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करना दोनों को पसंद था, दोनों एक दूसरे को स्पेस भी देते थे।
आरती और कबीर को अपनी जिम्मेदारियों का भी एहसास था ,वो अपनी पढ़ाई भी अच्छे से करते थे,ताकि अपने माँ पापा का नाम रौशन कर सके।
इस तरह आरती को एक सच्चा और अच्छा हमसफ़र मिल गया।जो उसका साथ उम्र भर देना चाहता था।
ममत रानी
झारखंड