आये मैया के नवराते
**आये मैया के नवराते (भेंट)**
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आये – आये हैं मैया के नवराते,
घर-घर मे हो रहें हैं खूब जगराते।
माँ शेरांवाली जगदम्बे महामाई,
कर शेर की सवारी मैया है आई,
दीन-दुखी भी पल में है तर जाते।
घर-घर मे हो रहें हैं खूब जगराते।
महाकाली मैया मेरी खप्परधारी,
रौद्र रूप धारी पर है मंगलकारी,
दुष्ट-दानव देखकर ही थे घबराते।
घर-घर में हो रहें हैं खूब जगराते।
माँ की माया कोई जान न पाया,
तेरी नजरों में कोई नहीं पराया,
खाली ख़ज़ाने पलों में भर जाते।
घर-घर में हो रहे हैं खूब जगराते।
मनसीरत मन तुमने है भरमाया,
तेरी छाया में मेरा साया समाया,
दिन-राती भेंटे गा गुण तेरा गाते।
घर-घर मे हो रहें हैं खूब जगराते।
आये – आये हैं मैया के नवराते,
घर-घर में हो रहें हैं खूब जगराते।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)